Sunday, 5 February 2017

जिस पल आपकी मृत्यु हो जाती है, उसी पल से आपकी पहचान एक "बॉडी" बन जाती है।
अरे "बॉडी" लेकर आइये, "बॉडी" को उठाइये, "बॉडी" को सूलाइये ऐसे शब्दो से आपको पूकारा जाता है, वे लोग भी आपको आपके नाम से नही पुकारते , जिन्हे प्रभावित करने के लिये आपने अपनी पूरी जिंदगी खर्च कर दी। इसीलिए निर्मिती" को नही निर्माता" को प्रभावित करने के लिये जीवन जियो। जीवन मे आने वाले हर चूनौती को स्वीकार करे।...... अपनी पसंद की चिजो के लिये खर्चा किजिये।...... इतना हंसिये के पेट दर्द हो जाये।.... आप कितना भी बूरा नाचते हो , फिर भी नाचिये।...... उस खूशी को महसूस किजिये।...... फोटोज् के लिये पागलों वाली पोज् दिजिये।...... बिलकुल छोटे बच्चे बन जायिये। क्योंकि मृत्यु जिंदगी का सबसे बड़ा लॉस नहीं है। लॉस तो वो है के आप जिंदा होकर भी आपके अंदर जिंदगी जीने की आस खत्म हो चूकी है।..... हर पल को खूशी से जीने को ही जिंदगी कहते है। "जिंदगी है छोटी," हर पल में खुश हूं, "काम में खुश हूं," आराम में खुश हू, "आज पनीर नहीं," दाल में ही खुश हूं, "आज गाड़ी नहीं," पैदल ही खुश हूं, "दोस्तों का साथ नहीं," अकेला ही खुश हूं, "आज कोई नाराज है," उसके इस अंदाज से ही खुश हूं, "जिस को देख नहीं सकता," उसकी आवाज से ही खुश हूं, "जिसको पा नहीं सकता," उसको सोच कर ही खुश हूं, "बीता हुआ कल जा चुका है," उसकी मीठी याद में ही खुश हूं, "आने वाले कल का पता नहीं," इंतजार में ही खुश हूं, "हंसता हुआ बीत रहा है पल," आज में ही खुश हूं, "जिंदगी है छोटी," हर पल में खुश हूं, अगर दिल को छुआ, तो जवाब देना, वरना बिना जवाब के भी खुश हूं..!! 😀😀Be Happy Always
इनमें से कोई 10 लाइन आपका भविष्य बदल सकती हैं .... बस ठान सको तो जीत आपके कदमो में होगी ........... 1 . अगर वो करोगे जो सब करते हैं तो वही बनोगे जो सब बनते हैं , अगर वो बनना है जो आज तक कोई नहीं बना है तो वो करना होगा जो आज तक किसी ने नहीं किया है , सब कुछ पाने के लिए सब कुछ लगाना होगा !! 2 . इतनी शिद्दत से निभाओ अपना किरदार , कि पर्दा गिरने के बाद भी तालियां बजती रहें ! 3 . इतना तो तय है कि कुछ बड़ा करके जाऊंगा , कुछ पढ़ने लायक लिख जाऊंगा या कुछ लिखने लायक कर जाऊंगा !! 4 . हम समंदर हैं हमे खामोश रहने दो , जरा मचल गए तो सारा शहर ले डूबेंगे !! 5 . भीड़ में खड़ा होना मकसद नहीं है मेरा , भीड़ जिसके लिए खड़ी हो वो बनना है मुझे !! 6 . लोगों को सुनाने के लिए अपनी आवाज ऊंची मत करो ...अपना किरदार इतना ऊँचा बना लो कि लोग आपको सुनने का इंतजार करें !! 7 .. खामोश लहरों को देखकर ये मत समझना कि समंदर में रवानी नहीं है , जब उठेंगे तूफान बनकर उठेंगे बस अभी हमने उठने की ठानी नहीं है !! 8 . अगर जीत पक्की हो तो कायर भी लड़ जाते हैं बहादुर तो वे कहलाते हैं जो हार निश्चित होने पर भी मैदान नहीं छोड़ते !! 9 . अगर हम बिना संघर्ष के सफल होते हैं तो वह केवल जीत होती है पर अगर हम संघर्ष के साथ सफल होकर दिखाते हैं तो वह इतिहास बनता है !! 10 . इंतजार करने वालो को सिर्फ उतना मिलता है जितना मेहनत करने वालों से छूट जाता है !! 11 . सपने वो सच नहीं होते जो सोते वक़्त देखे जाते हैं सपने तो वो सच होते हैं जिनके लिए हम सोना छोड़ देते हैं !! 12 . कौन कहता है कि आसमान में छेद नहीं हो सकता एक पत्थर तो तबियत से उछालो यारों ' !! 13 . जितना बड़ा संघर्ष होगा जीत उतनी ही शानदार होगी !! 14 .. अपने आलोचकों से मत घबराइये ....गली में दो - चार सूअर हो तो गली साफ रहती है !! 15 .. वही लोग उठाते हैं सूरज पर उँगलियाँ ...जुगनू तक छूने की जिनकी औकात नहीं होती !!


इश्क करते हो ना किसी से? तड़प रहे हो किसी की खातिर? पा लेना चाहते हो न उसे? ऐसे सवालों में खुद को कैद कर के जीवन की सच्चाइयों से मुंह मोड बैठे हो..चलो आज तुम्हें रूबरू कराता हूँ एक सच से.. ये बताओ कभी खुद के अन्दर मनहूसियत महसूस की है? मन की दहलीज़ पर खड़े हो कर उसको छला है कभी? अपने अस्तित्व से उसकी औकात पूछी है? इज्ज़त की धज्जियां उड़ा कर मुकाम हासिल करने की कोशिश की है? भूखे पेट सोते हुए ख्वाबों को टटोला है? सीने में जलती आग में कूद कर देखा है? मुखौटा लगा कर खुद से फरेब करना सीख गए हो ना? अगर हाँ, फिर ऐसे सवालों से भागना भी सीख गए होगे..भागो तब तक जब तक हिम्मत न हो जवाब ढूंढ पाने की..जीवन की व्यस्तताओं के बीच अपनी आज़माइश के लिए वक़्त निकाल पाना मुश्किल है..अपने चेहरे की बदसूरती झेलने को श्रृंगार हटाना मुश्किल है..मुश्किल है खुद की खुद से भेंट..और मुश्किल है अपने गुरूर को तमाचा रसीद कर पाना भी.. मगर ये बताओ आसान क्या है? अपने व्यक्तित्व में वो दिखाना जो अन्दर कहीं नहीं? आत्मसम्मान की अस्थियों पर रिश्तों की नींव रखना? शक को पूरे यकीन के साथ पनपने देना? उम्र के ढलते सूरज को अनुभव के बादल से ढांक देना? इन तमाम बातों को सोचते हुए गुज़रती हुई ज़िन्दगी कितनी अर्थहीन लगने लगती है? मगर निरर्थक प्रयास तो हर रोज़ कर ही रहे हो कुछ न कुछ समझने की..व्याकुल मन को स्थिर करने को कुछ तलाशना तुम्हारी ज़रुरत बन चुका है..यूँ ही जीवन-यापन करते रहना मजबूरी बन चुकी है.. बेहतर है कि जागो और महसूस करो वो सब जिससे भाग रहे हो..झेलो अपने डर को, झेलो अपने आप को..यकीन मानो किसी और को झेलने से बहुत बेहतर होगा..


THE LAW OF ATTRACTION आकर्षण का सिद्धांत The Law of Attraction या आकर्षण का सिद्धांत यह कहता है कि आप अपने जीवन में उस चीज को आकर्षित करते हैं जिसके बारे में आप सोचते हैं . आपकी प्रबल सोच हकीक़त बनने का कोई ना कोई रास्ता निकाल लेती है . लेकिन Law of Attraction कुछ ऐसे प्रश्नों को जन्म देता है जिसके उत्तर आसान नहीं हैं .पर मेरा मानना है कि problem Law of Attraction कि वजह से नहीं है बल्कि इससे है कि Law of Attraction को objective reality (वस्तुनिष्ठ वास्तविकता ) में कैसे apply करते हैं . यहाँ ऐसे ही कुछ problematic questions दिए गए हैं ( ये उन questions का generalization हैं जो मुझे email द्वारा मिले हैं ) क्या होता है जब लोगों की intention (इरादा,सोच,विचार,उद्देश्य) conflict करती है ,जैसे कि दो लोग एक ही promotion के बारे में सोचते हैं , जबकि एक ही जगह खाली है ? क्या छोटे बच्चों , या जानवरों की भी intentions काम करती है ? अगर किसी बच्चे के साथ दुष्कर्म होता है तो क्या इसका मतलब है कि उसने ऐसा इरादा किया था ? अगर मैं अपनी relation अच्छा करना चाहता हूँ लेकिन मेरा / मेरी spouse इसपर ध्यान नहीं देती , तो क्या होगा ? ये प्रश्न Law of Attraction की possibility को कमज़ोर बनाते हैं .कभी – कभार Law of Attraction में विश्वास करने वाले लोग इसे justify करने के लिए कुछ ज्यादा ही आगे बढ़ जाते हैं . For Exapmle, वो कहते हैं कि बच्चे के साथ दुष्कर्म इसलिए हुआ क्योंकि उसने इसके बारे में अपने पिछले जनम में सोचा था . भाई , ऐसे तो हम किसी भी चीज को explain कर सकते हैं , पर मेरी नज़र में तो ये तो जान छुड़ाने वाली बात हुई . मैं औरों द्वारा दिए गए इन प्रश्नों के उत्तर से कभी भी satisfy नहीं हुआ , और यदि Law of Attraction में विश्वास करना है तो इनके उत्तर जानना महत्त्वपूर्ण है .कुछ books इनका उत्तर देने का प्रयास ज़रूर करती हैं पर संतोषजनक जवाब नहीं दे पातीं . पर subjective reality (व्यक्ति – निष्ठ वास्तविकता )के concept में इसका सही उत्तर ढूँढा जा सकता है . Subjective Reality एक belief system (विश्वास प्रणाली) है जिसमे (1) सिर्फ एक consciousness (चेतना) है , (2) आप ही वो consciousness हैं , (3) हर एक चीज , हर एक व्यक्ति, जो वास्तविकता में है वो आप ही की सोच का परिणाम है . शायद आप को आसानी से दिखाई ना दे पर subjective reality Law of Attraction के सभी tricky questions का बड़ी सफाई से answer देती है . मैं explain करता हूँ …. Subjective reality में केवल एक consciousness होती है – आपकी consciousness. इसलिए पूरे ब्रह्माण्ड में intentions का एक ही श्रोत होता है -आप . आप भले ही वास्तविकता में तमाम लोगों को आते-जाते, बात करते देखें , वो सभी आपकी consciousness के भीतर exist करते हैं. आप जानते हैं कि आपके सपने इसी तरह काम करते हैं,पर आप ये नहीं realize करते की आपकी waking reality एक तरह का सपना ही है. वो सिर्फ इसलिए सच लगता है क्योंकि आप विश्वास करते हैं कि वो सच है. चूँकि और कोई भी जिससे आप मिलते हैं वो आपके सपने का हिस्सा हैं, आपके अलावा किसी और की कोई intention नहीं हो सकती.सिर्फ आप ही की intentions हैं. पूरे Universe में आप अकेले सोचने वाले व्यक्ति हैं. यह ज़रूरी है कि subjective reality में “आप” को अच्छे से define किया जाये . “आप” आपका शरीर नहीं है. “आप” आपका अहम नहीं है. मैं यह नहीं कह रहा हूँ की आप एक conscious body हैं जो unconscious मशीनों के बीच घूम रहे हैं. यह तो subjective reality की समझ के बिलकुल उलट है. सही viewpoint यह है कि आप एक अकेली consciousness हैं जिसमे सारी वास्तविकता घट रही है. Imagine करिए की आप कोई सपना देख रहे हैं. उस सपने में आप वास्तव में क्या हैं ? क्या आप वही हैं जो आप खुद को सपने में देख रहे हैं? नहीं, बिलकुल नहीं , वो तो आपके सपने का अवतार है. आप तो सपना देखने वाला व्यक्ति हैं.पूरा सपना आपकी consciousness में होता है. सपने के सारे किरदार आपकी सोच का परिणाम हैं, including आपका खुद का अवतार. दरअसल , यदि आप lucid dreaming सीख लें तो आप आपने सपने में ही अपने अवतार बदल सकते हैं. Lucid dreaming में आप वो हर एक चीज कर सकते हैं जिसको कर सकने में आपका यकीन हैं. Physical reality इसी तरह से काम करती है. यह ब्रह्माण्ड आप के सपने के ब्रह्माण्ड की तुलना में कहीं घना है, इसलिए यहाँ बदलाव धीरे-धीरे होता है. पर यह reality भी आपके विचारों के अनुरूप होती है, ठीक वैसे ही जैसे आपके सपने आपके सोच के अनुरूप होते है. “आप” वो dreamer हैं जिसके सपने में यह सब घटित हो रहा है. कहने का मतलब; यह एक भ्रम है कि और लोगों कि intentions है, वो तो बस आपकी सोच का परिणाम हैं. Of course, यदि आप बहुत strongly believe करते हैं कि औरों की intentions हैं, तो आप अपने लिए ऐसा ही सपना बुनेंगे.पर ultimately वो एक भ्रम है. तो आइये देखते हैं कि Subjective Reality कैसे Law of Attraction के कठिन प्रश्नों का उत्तर देती है: क्या होता है जब लोगों की intention (इरादा,सोच,विचार,उद्देश्य) conflict करती है ,जैसे कि दो लोग एक ही promotion के बारे में सोचते हैं , जबकि एक ही जगह खाली है ? चूँकि आप अकेले ही ऐसे व्यक्ति हैं जिसकी intentions हैं, ये महज एक internal conflict है – आपके भीतर का . आप खुद उस thought(intention) को जन्म दे रहे हैं कि दोनों व्यक्ति एक ही position चाहते हैं . लेकिन आप ये भी स
इश्क करते हो ना किसी से? तड़प रहे हो किसी की खातिर? पा लेना चाहते हो न उसे? ऐसे सवालों में खुद को कैद कर के जीवन की सच्चाइयों से मुंह मोड बैठे हो..चलो आज तुम्हें रूबरू कराता हूँ एक सच से.. ये बताओ कभी खुद के अन्दर मनहूसियत महसूस की है? मन की दहलीज़ पर खड़े हो कर उसको छला है कभी? अपने अस्तित्व से उसकी औकात पूछी है? इज्ज़त की धज्जियां उड़ा कर मुकाम हासिल करने की कोशिश की है? भूखे पेट सोते हुए ख्वाबों को टटोला है? सीने में जलती आग में कूद कर देखा है? मुखौटा लगा कर खुद से फरेब करना सीख गए हो ना? अगर हाँ, फिर ऐसे सवालों से भागना भी सीख गए होगे..भागो तब तक जब तक हिम्मत न हो जवाब ढूंढ पाने की..जीवन की व्यस्तताओं के बीच अपनी आज़माइश के लिए वक़्त निकाल पाना मुश्किल है..अपने चेहरे की बदसूरती झेलने को श्रृंगार हटाना मुश्किल है..मुश्किल है खुद की खुद से भेंट..और मुश्किल है अपने गुरूर को तमाचा रसीद कर पाना भी.. मगर ये बताओ आसान क्या है? अपने व्यक्तित्व में वो दिखाना जो अन्दर कहीं नहीं? आत्मसम्मान की अस्थियों पर रिश्तों की नींव रखना? शक को पूरे यकीन के साथ पनपने देना? उम्र के ढलते सूरज को अनुभव के बादल से ढांक देना? इन तमाम बातों को सोचते हुए गुज़रती हुई ज़िन्दगी कितनी अर्थहीन लगने लगती है? मगर निरर्थक प्रयास तो हर रोज़ कर ही रहे हो कुछ न कुछ समझने की..व्याकुल मन को स्थिर करने को कुछ तलाशना तुम्हारी ज़रुरत बन चुका है..यूँ ही जीवन-यापन करते रहना मजबूरी बन चुकी है.. बेहतर है कि जागो और महसूस करो वो सब जिससे भाग रहे हो..झेलो अपने डर को, झेलो अपने आप को..यकीन मानो किसी और को झेलने से बहुत बेहतर होगा..